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Bihar:कांग्रेस भुनाएगी बजरंग बली को! इसीलिए ‘बागेश्वरधाम’ पर बिहार में बैकफुट पर आई जेडीयू, ऐसे घेरा Bjp को – Why Jdu Came On Backfoot In Bihar On Bageshwar Dham, How Bjp Pitched Hindutva


कर्नाटक में बजरंग दल को प्रतिबंधित करने की बात करके कांग्रेस ने भाजपा के बगावती तेवरों के बाद बजरंग बली का नारा लगाकर कर्नाटक में सत्ता हथिया ली। इसी कांग्रेस के साथ मिलकर लगातार बड़े गठबंधन में पैरवी करने वाले जेडीयू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बजरंग बली के फेर में फंस गए हैं। दरअसल पटना में शुरू हुए बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की राम कथा पर सियासी बवाल मचने लगा है। बागेश्वर धाम के सोमवार को पटना में आयोजित होने वाले दिव्य दरबार को रद्द कर दिया गया। जेडीयू के गठबंधन वाली सरकार के प्रमुख घटक आरजेडी के नेता लगातार इस मामले में विरोध कर रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी इस मामले में फिलहाल बैकफुट पर है। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन कहते हैं कि इस पूरे मामले में भाजपा पंडित धीरेंद्र शास्त्री को मोहरा बनाकर हिंदुत्व का कार्ड खेल रही है। अपनी ही सरकार के सबसे बड़े घटक दल आरजेडी नेताओं की ओर से पंडित धीरेंद्र शास्त्री को लेकर की जाने वाली बयानबाजी पर फिलहाल कोई टिप्पणी ना करते हुए वह कहते हैं कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के गठबंधन की भूमिका और उसकी नींव मजबूत करना ज्यादा जरूरी है।

पटना में चल रहे बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की राम कथा के साथ-साथ जबरदस्त रूप से सियासी बवाल मचाना शुरू कर दिया है। कहा तो यह भी जा रहा था कि इस पूरे मामले में सरकार कड़े एक्शन भी ले सकती है। यह एक्शन कार्यक्रम में बरती गई लापरवाही और आयोजकों की ओर से आधी-अधूरी जानकारी प्रशासन को पहुंचाने तथा कथा आयोजन पर मचे बवाल और लोगों को हुई असुविधा के तौर पर लिया जा सकता है। क्योंकि पंडित धीरेंद्र शास्त्री के इस कार्यक्रम के शुरू होने से पहले ही बिहार सरकार के सबसे बड़े घटक दल आरजेडी के नेताओं की ओर से लगातार विरोध किया जा रहा था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस पूरे मामले में बिहार सरकार और कानून व्यवस्था के लिहाज से जिम्मेदार अधिकारी बारीकी से नजर भी बनाए हुए थे। क्योंकि इस पूरे मामले में भाजपा के कई बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री शामिल थे। इस लिहाज से मामला राजनीतिक होगा इसकी जानकारी भी राज्य सरकार को थी। लेकिन नीतीश कुमार की जेडीयू पंडित धीरेंद्र शास्त्री के विरोध के मामले में आरजेडी के मुकाबले बैकफुट पर आ गई। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि इसके पीछे की बड़ी सियासी वजह 2024 में होने वाले लोकसभा के बड़े सियासी गठबंधन की मजबूरी आड़े आ गई है।

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार अंबिका कुमार कहते हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनावों में जिस तरीके से कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली और उस सफलता के बाद पार्टी के नेताओं ने बजरंग बली को जब श्रेय देना शुरू किया, तो कांग्रेस से गठबंधन करने वालों के कान खड़े हो गए। इसमें सबसे बड़ा नाम बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के बड़े नेता नीतीश कुमार भी शामिल थे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार बगैर कांग्रेस के किसी भी बड़े राजनैतिक गठबंधन की बात स्वीकार नहीं कर रहे हैं। यही वजह है कि बिहार के मुख्यमंत्री लगातार कांग्रेस के साथ मिलकर सभी बड़े राजनीतिक दलों के नेताओं के पास अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की मजबूत गठबंधन की भूमिका भी बना रहे हैं। यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी कहते हैं कि बजरंगबली ने कर्नाटक में उनको भारी सफलता के साथ बड़ी जीत दिलाई है। सियासी जानकार कहते हैं कर्नाटक में मिली कांग्रेस को भारी सफलता के बाद बने सियासी माहौल से पंडित धीरेंद्र शास्त्री की रामकथा के आयोजन पर नीतीश कुमार और जेडीयू के ओर से सियासी तौर पर रवैया लचीला हो गया।

पंडित धीरेंद्र शास्त्री के पटना पहुंचने से काफी समय पहले से ही इस तरह की सियासत के अनुमान लगाए जा रहे थे। बिहार सरकार के प्रमुख घटक आरजेडी के नेताओं की ओर से इस मामले में लगातार बयान दिए जा रहे थे। ऐसे हालात में पटना में आयोजित होने वाले कथा प्रवचन समारोह में कानून व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई थी। लेकिन पूरे मामले में सियासी मोड़ तब आ गया, जब भाजपा के नेता और दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी धीरेंद्र शास्त्री को कार में बिठाकर पटना की सड़कों पर निकले। केंद्र सरकार के कई बड़े कद्दावर नेता धीरेंद्र शास्त्री की अगवानी करने के लिए पटना में मौजूद रहे। और तो और सियासत का पारा तब और चढ़ गया, जब राम कथा प्रवचन के दौरान इन्हीं कद्दावर नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों की ओर से आरती की गई।

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इस पूरे मामले में जेडीयू के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता राजीव रंजन कहते हैं कि पटना में आयोजित पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम को भाजपा की ओर से प्रायोजित किया गया। राज्य में धार्मिकता के नाम पर माहौल खराब किया जाए, इसलिए भाजपा के कद्दावर मंत्रियों के साथ-साथ कई केंद्रीय मंत्री भी इस कार्यक्रम में शरीक हुए। राजीव रंजन आयोजन पर की जाने वाली टिप्पणियों और कार्यक्रम के होने न होने को लेकर पहले से किए गए विवादित बयानों पर तो कुछ नहीं कहते हैं, लेकिन उनका इतना जरूर कहना है कि कार्यक्रम के आयोजकों की ओर से पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में कई बड़ी चूक की गई। इस पूरे मामले में प्रशासन को न सिर्फ अंधेरे में रखा गया, बल्कि कई तरह की आधी-अधूरी जानकारियां भी दी गईं। यही वजह रही कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में न सिर्फ बड़ी अव्यवस्था हुई, बल्कि कानून व्यवस्था के लिहाज से दी गई जानकारी भी आयोजकों की ओर से छुपाई गई।

जेडीयू के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता राजीव रंजन से यह पूछे जाने पर कि उनकी सरकार के सबसे बड़े घटक दल आरजेडी के नेताओं की ओर से लगातार धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम के आयोजन को लेकर विरोध और टिप्पणियां की जाती रही हैं। जेडीयू इस मामले में बैकफुट पर है। क्या इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यही है कि कांग्रेस अब बजरंग बली को लेकर सियासी रूप से मैदान में आ चुकी है और नीतीश कुमार कांग्रेस के साथ मिलकर बड़ा गठबंधन करने की भूमिका बना रहे हैं। इस सवाल पर राजीव रंजन का कहना है कि उनकी सरकार के बड़े घटक दल किस तरीके से और किसका विरोध कर रहे हैं यह उनके गठबंधन के लिहाज से बहुत छोटी सी बात है। राजीव रंजन का कहना है कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर अपने नेता नीतीश कुमार की नीतियों को और उनके प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए बड़े गठबंधन की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस की ओर से बजरंग बली को आगे रखकर अगले चुनावों में बड़े सियासी मुद्दे के तौर पर आगे बढ़ाने और पंडित धीरेंद्र शास्त्री के खुद के हनुमान भक्त कहे जाने पर जेडीयू के पीछे हटने को उन्होंने निराधार बताया।

बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा ऐसी बात की हो रही है कि अगर जेडीयू के नीतीश कुमार को कांग्रेस के साथ मिलकर बड़ा गठबंधन बनाना है, तो बजरंगबली के विरोध या किसी भी तरह के विवाद से दूर ही रहना होगा। राजनैतिक विश्लेषक वरिष्ठ पत्रकार सुमित कुमार का कहना है कि यही वजह है कि बिहार में पंडित धीरेंद्र शास्त्री की आयोजित रामकथा से पहले मचे सियासी भूचाल के बाद सरकार की ओर से पहले से अनुमानित कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है। जबकि आरजेडी के नेता लगातार पंडित धीरेंद्र शास्त्री का विरोध कर रहे थे। सुमित कहते हैं कि नीतीश कुमार सियासी मामलों की नब्ज को बखूबी समझते हैं। क्योंकि वह आने वाले चुनावों में कांग्रेस को साथ रखकर बड़े गठबंधन की नींव डालना चाहते हैं। इसीलिए कांग्रेस की सियासी मंशा और सियासी हवा को भापकर ही आगे बढ़ रहे हैं।



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