नई दिल्ली. जी-20 के विदेश मंत्रियों की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में यूक्रेन संघर्ष को लेकर मतभेदों के कारण संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं किया जा सका जबकि मेजबान देश भारत ने आम-सहमति बनाने के लिए सतत प्रयास किये। भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक में अध्यक्षता सारांश और परिणाम दस्तावेज स्वीकार किये गये।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यूक्रेन संघर्ष से जुड़े मुद्दे बैठक में आये। कई राजनयिकों ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर अमेरिका नीत पश्चिमी जगत और रूस-चीन के बीच गहरा विभाजन देखा गया।
जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार दो ध्रुवों में बंटे हुए थे। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रियों की बैठक में यूक्रेन संघर्ष पर अलग-अलग धारणाएं सामने आईं। उन्होंने कहा कि इस बाबत दो पैराग्राफ पर सहमति नहीं बन सकी। विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 का परिणाम दस्तावेज मौजूदा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के जी-20 के संकल्प को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि बैठक में आतंकवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की गयी। जयशंकर ने कहा कि हमारा प्रयास है कि ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज सुनी जाए। उन्होंने कहा कि बैठक में अनेक मुद्दों पर सहमति बनी।
The Ukraine issue is impacting Global South. India has been saying very strongly since a year that for much of the Global South this is a make or break issue. The costs of fuel, food & availability of fertilizer are extremely pressing issues: EAM Dr. S Jaishankar pic.twitter.com/zP4qYo03AU
— ANI (@ANI) March 2, 2023
जयशंकर ने कहा हमने सभी G20 देशों से भागीदारी देखी। जी-20 प्रेसीडेंसी द्वारा आयोजित जी-20 विदेश मंत्रियों की यह सबसे बड़ी सभा थी। भविष्य के युद्धों और आतंकवाद को रोकने के मामले में बहुपक्षवाद आज संकट में है। उन्होंने कहा पीएम मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ को आवाज देना महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया इन देशों को वास्तव में अस्थिर ऋण और ग्लोबल वार्मिंग के मामले में पिछड़ते हुए देख रही थी।
पूर्ण सत्र जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जयशंकर ने कहा, “ये बैठकें भू-राजनीतिक तनावों से प्रभावित थीं। पीएम ने आग्रह किया कि जो लोग कमरे में नहीं थे, उनके लिए हमारी जिम्मेदारी है। पीएम ने आग्रह किया कि हम सभी को भारत की सभ्यता के लोकाचार से प्रेरणा लेनी चाहिए।” उन्होंने कहा, G20 बैठक में रूस और यूक्रेन के मुद्दों की चुनौतियों पर चर्चा हुई और पीएम मोदी ने हमें यह महसूस करने की सलाह दी कि “हमें क्या एकजुट करता है और क्या विभाजित करता है।”
जयशंकर ने यूक्रेन के मुद्दे पर कहा, “यूक्रेन का मुद्दा ग्लोबल साउथ को प्रभावित कर रहा है। भारत एक साल से बहुत दृढ़ता से कह रहा है कि अधिकांश वैश्विक दक्षिण के लिए यह एक बनाने या तोड़ने का मुद्दा है। ईंधन, भोजन और उर्वरक की उपलब्धता अत्यंत दबाव वाले मुद्दे हैं।” उन्होंने कहा, “जो देश पहले से ही कर्ज से जूझ रहे हैं और महामारी से प्रभावित हैं, उनके लिए रूस-यूक्रेन संकट के प्रभावों की दस्तक हानिकारक है। यह मामला गहरी चिंता का विषय है, इसलिए हमने इन बैठकों का फोकस वैश्विक दक्षिण और कमजोर देशों पर रखा है।”
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विदेश मंत्री ने आगे कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था या बहुपक्षीय व्यवस्था के भविष्य के बारे में बात करना यथार्थवादी और विश्वसनीय नहीं है यदि आप वास्तव में उन लोगों के मुद्दों को संबोधित करने और उन पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम नहीं हैं जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है। यदि हमारे पास सभी मुद्दों पर विचारों की पूर्ण बैठक होती और इसे पूरी तरह से कैप्चर किया जाता, तो यह सामूहिक बयान होता लेकिन ऐसे मुद्दे थे जिन पर मतभेद थे…यूक्रेन मुद्दे पर मतभेद थे जिनका हम समाधान नहीं कर सके।” (एजेंसी इनपुट के साथ)