नई दिल्ली: केंद्र सरकार (central government) ने राज्यों से निजी और सरकारी अस्पतालों (government hospitals) में महिलाओं के गर्भाशय निकालने (हिस्टरेक्टमी) के मामलों की जानकारी देने को कहा है। इसका उद्देश्य कुछ संस्थानों को अनावश्यक और अनुचित होने पर भी इस प्रक्रिया को करने से रोकने का है। बता दें कि आजकल बहुत से डॉक्टर और क्लीनिक हैं तो लिंग परीक्षण करते हैं। पैसों की लालच में निजी अस्पताल कई बार गर्भाशय का ऑपरेशन तक कर डालते हैं। मेडिकल फील्ड में अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण (Union Health Secretary Rajesh Bhushan) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि सरकारी और निजी अस्पतालों में महिलाओं को बचाने के लिए गर्भाशय निकालने के ऑपरेशन के सभी मामलों का अनिवार्य रूप से ऑडिट कराया जाए। सरकार इसको लेकर सख्त है।
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भूषण ने 28 अप्रैल को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा, ‘‘मामला कुछ चिकित्सा संस्थानों द्वारा अनावश्यक होने पर भी और अक्सर अनुचित होने पर भी गर्भाशय निकालने की सर्जरी करने से रोकने से संबंधित है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस पर करीबी नजर रख रहा है। (एजेंसी इनपुट के साथ)