नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने सांडों को वश में करने वाले खेल जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ (Jallikattu and bullock cart racing) की अनुमति देने वाले राज्यों के कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने खेल ‘जल्लीकट्टू’ की अनुमति देने वाले तमिलनाडु के कानून (Tamil Nadu’s law) को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि ‘जल्लीकट्टू’ तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017, जानवरों के दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम करता है। तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति (Tamil Nadu Law Minister S. Raghupathi) ने ‘जल्लीकट्टू’ की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि हमारी परंपरा और संस्कृति की रक्षा की गई है। उन्होंने ‘जल्लीकट्टू’ की वैधता बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘ऐतिहासिक’ बताया।
Supreme Court dismisses all the pleas challenging the validity of states’ laws allowing bull-taming sport Jallikattu and bullock cart races.
— ANI (@ANI) May 18, 2023
कोर्ट में जल्लीकट्टू के खिलाफ पशु क्रूरता का हवाला देते हुए कई याचिकाएं लगाई गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू की इजाजत देने वाले कानून को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि 2017 में प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल एक्ट में संशोधन किया गया। इससे पशुओं को होने वाले कष्ट में वास्तव में कमी आई है।
यह भी पढ़ें
बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि क्या जल्लीकट्टू जैसे सांडों को वश में करने वाले खेल में किसी जानवर का इस्तेमाल किया जा सकता है? इस पर सरकार ने हलफनामे में कहा था कि जल्लीकट्टू केवल मनोरंजन का काम नहीं है। बल्कि महान ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाला कार्यक्रम है। इस खेल में सांडों पर कोई क्रूरता नहीं होती है। फ़िलहाल अब कोर्ट ने राज्य सरकार को राहत देते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दी।