मृतक दंपती
– फोटो : फाइल फोटो
विस्तार
शादी में साथ जीने-मरने की कसम खाने वाले तो कदम-कदम पर नजर आते हैं। लेकिन इन कसमों को निभाने वाले विरले ही होते हैं। शादी के मंडप पर जन्म-जन्म का साथ निभाने की शपथ को निभाने वाली ऐसी ही एक जोड़ी भागलपुर के नाथनगर स्थित मिर्जापुर गांव के निवासी विशुनदेव मंडल और चंदा देवी की है। इस जोड़ी ने साथ जीने-मरने की कहानी को सच साबित कर दिया। पति विशुनदेव की मौत के कुछ ही घंटे के अंदर पत्नी चंदा देवी की भी मौत हो गई। मौत के बाद दोनों की शवयात्रा भी साथ-साथ निकाली गई और एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।
बुजुर्ग दंपती के प्यार की चर्चा हर किसी की जबान पर
इस घटना को जिसने भी देखा सोचने को मजबूर हुआ कि वाकई जोड़ियां स्वर्ग से बनकर आती हैं। सभी के जन्म और मौत का समय भी तय होता है। लेकिन ऐसे जोड़े काम ही होते हैं जो साथ जीने-मरने की तकदीर लिखवाकर धरती पर आते हैं। मृतक दंपती के बेटे जीतन मंडल ने बताया कि गांव में इस तरह की पहली घटना हुई है। माता-पिता दोनों के बीच सच्चे प्यार से जीने-मरने का वादा सच साबित हुआ।
पति-पत्नी की एक साथ हुई मौत
मिर्जापुर गांव निवासी 80 साल के विशुनदेव मंडल बुजुर्ग होने से बीमार चल रहे थे और घर में उनका इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान ही उनका निधन हो गया। परिजनों ने उनके शव को घर के आंगन में लाकर रखा। उसके बाद मृतक विशुनदेव मंडल के शव के पास उसकी 70 साल की पत्नी चंदा देवी भी ने विलाप करते-करते अपने प्राण त्याग दिए। उसके बाद बहू और बेटे ने अपने माता-पिता की एक साथ शव यात्रा निकाली और एक साथ अंतिम संस्कार किया। जिसने भी इस दृश्य को देखा, उसकी आंखें नम हो गईं।
मृतक दंपती का सफर प्यार भरा गुजरा
मृतक दंपती विशुनदेव मंडल और चंदा देवी के पांच बेटे और दो बेटियां हैं। बहादुर मंडल, पप्पू मंड़ल, प्रमोद मंडल, असेसर मंडल और मनोज मंडल ने बताया कि उनके मां और पिताजी के बीच बहुत स्नेह था। दोनों में लड़ाई-झगड़ा या घरेलू विवाद शायद ही कभी होता था। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उन लोगों के सिर से माता-पिता का साया एक साथ ही उठ गया है। उन्होंने कहा कि ईश्वर दोनों की आत्मा को शांति दें और हर जन्म में वे ही उनके माता-पिता के रूप में मिलें।