नई दिल्ली: भारत में समलैंगिक विवाह (gay marriage) को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। समलैंगिक विवाह को लेकर देश में दो पक्ष हो गया है। कुछ इसके समर्थन में हैं तो कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं। फिलहाल केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दायर किया है। केंद्र इस समलैंगिंग विवाह क़ानून (gay marriage law) के खिलाफ है। फ़िलहाल समलैंगिक विवाह कानून को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी अपना मत साफ़ कर चुका है। इस मुद्दे पर की गई टिप्पणियों से साफ पता चलता है कि आरएसएस इस कानून के खिलाफ है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने समलैंगिक शादी के मुद्दे पर केंद्र सरकार के नजरिये से सहमति जताई है आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले (Dattatreya Hosabale) ने कहा कि विवाह दो विपरीत लिंग के बीच हो सकता है। हिंदू जीवन में विवाह ‘संस्कार’ है, यह आनंद के लिए नहीं है। दो व्यक्ति विवाह करते हैं और समाज के लाभ के लिए एक परिवार बनाते हैं। विवाह न तो यौन आनंद के लिए है और न ही अनुबंध के लिए।
#WATCH | Marriages can take place between two opposite genders. In Hindu life marriage is ‘Sanskar’, it isn’t for enjoyment. Two individuals marry & have a family for benefit of society…marriage neither for sexual enjoyment nor contract: RSS Gen Secy Dattatreya Hosabale pic.twitter.com/Blf2ECVCwH
— ANI (@ANI) March 14, 2023
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उन्होंने कहा कि संघ समलैंगिक विवाह पर केंद्र के विचार से सहमत है। उन्होंने दावा किया कि विवाह केवल विपरीत लिंग के लोगों के बीच हो सकता है। बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उन याचिकाओं का विरोध किया है, जिनके जरिये समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग की गई है। फ़िलहाल इस मामले की 18 अप्रैल को सुनवाई होगी। बता दें कि गे, लेस्बियन और ट्रांसजेंडर लोगों की ओर से अलग-अलग कुल 15 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिन्हें शीर्ष अदालत ने अपने पास ट्रांसफर कर लिया है।