राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर
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बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर मंगलवार को बोधगया के महाबोधि मंदिर पहुंचे। यहां राज्यपाल ने महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में महात्मा बुद्ध की वंदना की। उसके बाद राज्यपाल ने बोधिवृक्ष के तले महात्मा बुद्ध के आसन स्थल पर पुष्प अर्पित कर प्रार्थना की। इसके बाद महाबोधि मंदिर में विराजमान शिव मंदिर और सनातन धर्म के अन्य देवताओं की पूजा-अर्चना की।
इसके बाद राज्यपाल महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया पहुंचे। यहां चीवरदान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस मौके पर दर्जनों की संख्या में बौद्ध भिक्षुओं और गणमान्य लोगों ने भाग लिया। फिर कार्यक्रम में शामिल सभी बौद्ध भिक्षुओं को राज्यपाल ने चीवरदान किया।
‘वे देश का भला नहीं चाहते’
इस मौके पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने पत्रकारों से बातचीत कर कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं, कुछ शक्तियां ऐसी हैं यहां जो चाहते हैं कि देश का भला न हो। उनको लगता है कि भारत की एकता और अखंडता को आंच पहुंचानी है तो इनमें भेदभाव पहुंचाने की जरूरत है। किसी भी तरीके से, वह सांस्कृतिक तौर पर हो या धार्मिक तौर पर हो।
‘हमें एकता का भाव जागृत करने की जरूरत’
राज्यपाल ने कहा कि इतिहास में कई उदाहरण हैं जब-जब भारत ने एकता दिखाई है, तब-तब भारत ने अपनी प्रभुता और श्रेष्ठता दिखाई है। और आजकल की कुछ ताकतें चाहती हैं कि भारत श्रेष्ठ न बने, इसलिए इनका कुछ प्रयास है। उनके कुछ नाम लेने की आवश्यकता है, ऐसा नहीं है। हम समाज के अंदर देखते हैं, जहां-जहां जाते हैं, उस समय पता चलता है कि वे कौन लोग हैं। हमको इससे ऊपर आकर हमारी एकता का भाव जागृत करने की आवश्यकता है।
राज्यपाल के ऊपर के बयान पर जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि नहीं ऐसे मैं किसी की तरफ इशारा नहीं करना चाहूंगा। राजनीतिक हो, गैर राजनीतिक हो परंतु उसमें मैं नहीं कहूंगा। कुछ ऐसे सामाजिक तत्व हैं समाज के अंदर, ऐसा वे प्रयास करते हैं और ये आज कल की बात नहीं है। बहुत सालों से चला आ रहा है। इसलिए तो अपना भारत खंडित हो चुका है। इसलिए हम परतंत्र हो गए हैं। आज भी वह ताकतें हैं। हमको इससे ऊपर उठने की जरूरत है।