पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह।
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पूर्व कृषि और राजद विधायक सुधाकर सिंह ने विधानासभा में प्राइवेट बिल लाने की घोषणा की है। इसमें वह बिहार में केंद्रीय एजेंसिंयों को बिहार में जांच करने आम सहमति वापस लेने की मांग करेंगे। बिल पास होने के बाद बिहार में किसी केस की जांच करने से पहले केंद्रीय एजेंसियों को राज्य सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। मीडिया से बातचीत करते हुए सोमवार दोपहर उन्होंने कहा कि मैं किसी के बचाव के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं कर रहा हूं। मैं एक यूनिफॉर्म पॉलिसी की बात कर रहा हूं। उन्होंने सवाल किया कि क्या भ्रष्टाचार केवल विपक्ष करता है? केंद्र में जो भ्रष्टाचार हो रही है उसकी जांच करने वाला कोई नहीं है और जो उनके विपक्ष में लोग हैं उनपर कार्रवाई हो रही रही। यह गलत है।
सुधाकर सिंह ने कहा कि मैं विधानसभा में विधेयक ला रहा हूं। उसका मुख्य उद्देश्य है कि केंद्रीय एजेंसियों राज्य में जांच करने छूट को खत्म करना। दरअसल, दिल्ली पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट पारा 6 में केंद्रीय एजेंसियों को अधिकार दिया गया था कि कि वह किसी भी राज्य में जाकर जांच कर सकते हैं। लेकिन, जिस तरह से केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है। इसे देखते हुए भारत के 9 राज्य ने केंद्रीय जांच एजेंसी को छूट देने से इनकार कर दिया और अपना अधिकार वापस ले लिया। हाल में ही पश्चिम बंगाल में भी इस अधिकार को वापस लिया। हालांकि यह लागू नहीं हो पाया।
बिहार में आम सहमति वापस नहीं ली गई
सुधाकर सिंह ने आगे कहा कि 6 महीना पहले जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर यहां आए थे तो बिहार के मुख्यमंत्री ने उनके साथ मिलकर एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें कहा गया था कि बिहार के अंदर केंद्रीय एजेंसियों को जांच के लिए दी गई आम सहमति वापस ली जाएगी। लेकिन आप देख रहे होंगे 6 महीना बीत जाने के बाद भी बिहार में आम सहमति वापस नहीं ली गई। आज लालू परिवार राजद के विधायक और सांसद के खिलाफ उन मामलों की जांच की जा रही है। जिस पर केंद्रीय एजेंसियां पहले भी कई बार पूछताछ कर चुकी। इस मामले में पहले ही जांच करने के बाद चाार्जसीट कोर्ट में दाखिल किया जा चुका है। किसी भी जांच एजेंसी को लगे कि कोई नई सूचना है तो उसे कोर्ट में जाकर उसे सब्मिट करना चाहिए और ट्रायल करना चाहिए।
जांच एजेंसियों का गलत उपयोग
ट्रायल नहीं करवा कर मामले को उलझाए रखना और विपक्ष के नेताओं को धमकाना है। अभी जो लोग सरकार में बैठे हैं। वह जब पक्ष में थे तो वह लोग खुद आरोप लगा रहे थे कि केंद्र की जो सरकार है। वह जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करती है कि वह अपने नेताओं को केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा तंग करने की बात कह रहे थे। सुधाकर सिंह ने कहा कि विधायिका के सदस्य होने के नाते मैं बिहार विधानसभा में निजी विधेयक पेश करने जा रहा हूं मैं चाहता हूं कि इसी सत्र में बहस होकर इस पर आगे की कार्रवाई हो मैं चाहता हूं कि इस आम सहमति को निरस्त कर दिया जाए। अगर बिहार सरकार को लगेगा कि किसी केस में केंद्रीय जांच एजेंसी की मदद लेनी है तो उस पर मदद ली जाएगी।