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Bihar Caste Census :जातीय गणना रुकने गुस्से में लालू यादव, बोले- Obc को जानवरों की तरह मानता है संघ-भाजपा – Bihar Caste Census: Lalu Yadav Angry At Stopping Caste Enumeration, Treats Obcs Like Animals Rss-bjp


Bihar Caste Census: Lalu Yadav angry at stopping caste enumeration, treats OBCs like animals RSS-BJP

नीतीश कुमार के जातीय जन-गणना के मुद्दे पर लालू प्रसाद उनके साथ हैं।
– फोटो : ANI

विस्तार

जातीय जन-गणना रुकने पर राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव गुस्से में हैं। दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है। बुधवार दोपहर उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि केंद्र सरकार घड़ियाल की गिनती कर लेती है लेकिन देश के बहुसंख्यक गरीबों, वंचितों, उपेक्षितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों की नहीं? RSS-BJP देश के OBC को जानवरों से भी बदतर मानती है। इसलिए इन्हें जातीय गणना और जातीय सर्वे से दिक्कत है। BJP को पिछड़ों से इतनी नफरत और दुश्मनी क्यों? अब लालू प्रसाद के इस बयान से बिहार में सियासत तेज हो गई है। 

इससे पहले कहा था- जातिगत जनगणना हो कर रहेगा

यह पहली बार नहीं है जब लालू प्रसाद ने जातीय जन-गणना को लेकर प्रतिक्रिया दी है। इससे पहले 5 मई को लालू प्रसाद ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जातिगत जनगणना बहुसंख्यक जनता की मांग है और यह हो कर रहेगा। BJP बहुसंख्यक पिछड़ों की गणना से डरती क्यों है? जो जातीय गणना का विरोधी है वह समता, मानवता, समानता का विरोधी एवं ऊंच-नीच, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, सामाजिक व आर्थिक भेदभाव का समर्थक है। देश की जनता जातिगत जनगणना पर BJP की कुटिल चाल और चालाकी को समझ चुकी है।

उच्च न्यायालय का निर्णय बिहार के हित में है

भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी ने कहा था कि यह बात में पिछले साल भर से कह रहा था कि यह अनियमित है। यह पूर्णत: राजनीति से प्रेरित है। यह सर्वे सेंसस का रूप है। सेंसस करने अधिकार केवल केंद्र को है। पटना उच्च न्यायालय का निर्णय बिहार के हित में है क्योंकि इससे जो जातीय तनाव उत्पन्न हो रहा था वह रूक गया। 

जानिए, पटना हाईकोर्ट द्वारा रोक लगने से पहले याचिकाकर्ताओं की दलीलें

  •  “बिहार सरकार जातीय गणना के नाम पर एक-एक जन की गणना कर रही है, इसलिए यह जनगणना है। जनगणना का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है। यह राज्य सूची या संवर्ती सूची में नहीं है। सर्वे बताकर हर आदमी को गिनना जनगणना है और यह राज्य सरकार की ओर से कराना असंवैधानिक है।”
  •  “राज्य सरकार एक-एक आदमी को गिनवा रही है और इसमें कई जातियों का नाम गायब है, जबकि कई जातियों का नाम बदल दिया गया है। ऐसे में जिस आदमी की गणना नहीं होगी, उसका मौलिक अधिकार छिन सकता है। आधार समेत सारे दस्तावेज रहने पर भी किसी का मौलिक अधिकार छीनने का हक राज्य सरकार को नहीं है।

 



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