सुप्रीम कोर्ट
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आज सुप्रीम कोर्ट में जातीय जन-गणना पर सुनवाई होनी है। कुछ देर में ही दो जजों की बेंच के कोर्ट में इसकी सुनवाई होगी। बुधवार को ही इस मामले की सुनवाई होनी थी लेकिन नहीं हो पाई। कोर्ट की ओर यह सुनवाई टल गई। इधर, बुधवार को सुनवाई से कुछ पहले दो जजों की बेंच में एक जस्टिस संजय करोल ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया। कहा गया कि जातीय जन-गणना केस में सुनवाई में जस्टिस करोल शामिल नहीं होंगे। जस्टिस करोल पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। अब जातीय जन-गणना पर सुनवाई जस्टिस अभय ओक और जस्टिस राजेश बिंदल के कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी।
पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के तर्क को अस्वीकार कर दिया था
बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने 04 मई को अंतरिम फैसले में बिहार सरकार के तर्क को अस्वीकार किया था कि वह जाति आधारित गणना थी। पटना हाईकोर्ट ने 03 जुलाई को अगली तारीख देते हुए बिहार में जाति आधारित जनगणना पर अंतरिम रोक लगाई थी तो सरकार ने जल्द तारीख देने की अपील की। वह अपील भी बेकार गई। इसके बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बुधवार को सुप्रीम अदालत में इसकी सुनवाई टल गई।
दो बार सुप्रीम कोर्ट ने इसे हाईकोर्ट का मसला करार दिया था
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पास तीसरी बार यह केस पहुंच रहा है। पहले, दो बार बिहार में जातीय जनगणना को असंवैधानिक करार देने के लिए याचिकाकर्ताओं ने अपील की थी। दोनों ही बार सुप्रीम कोर्ट ने इसे हाईकोर्ट का मसला करार दिया। दोनों बार बिहार सरकार को राहत मिली, लेकिन जब पटना हाईकोर्ट ने राज्य की नीतीश कुमार सरकार के निर्णय के खिलाफ अंतरिम फैसला सुनाते हुए जुलाई में तारीख दे दी तो अब तीसरी बार यह केस सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है।