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Bihar:बिहार में बागेश्वर बाबा पर क्यों मचा सियासी बवाल, क्या जातिगत समीकरण पर भारी पड़ रही धर्म की राजनीति? – Bageshwar Baba: Why Nitish-tejashwi Afraid Of Dhirendra Shastri, Is The Fear Of Losing Of Caste Equation?


बागेश्वर बाबा (Baba Bageshwar) के पटना दरबार में प्रतिदिन आठ से दस लाख लोगों के पहुंचने का दावा किया जा रहा है। पंडाल से चारों ओर दूर-दूर तक फैला जनसैलाब किसी भी राजनीतिक दल की नींद खराब करने के लिए पर्याप्त है, जो अपनी सभाओं में भीड़ जुटाने के लिए महीनों कड़ी मेहनत करते हैं और पैसा खर्च करते हैं। इसके बाद भी कोई राजनीतिक दल इस तरह की जनसभा एकत्र करने में असफल ही रहता है। कहा जा रहा है कि बाबा अपनी जनसभाओं में हिंदू एकता और हिंदू राष्ट्र के जिन मुद्दों को उठाते हैं, उससे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जातिगत समीकरणों पर टिकी राजनीति को खतरा हो सकता है। पटना दरबार पर राजनीतिक विवाद होने के बीच मुजफ्फरपुर में बाबा का एक और दरबार लगाने की तैयारी भी शुरू हो गई है।

क्या बागेश्वर बाबा की लोकप्रियता इतनी अधिक है कि वे लंबे समय से चली आ रही बिहार की जातिगत समीकरणों की राजनीति को प्रभावित कर सकें? क्या वे भाजपा को लाभ पहुंचा सकते हैं? बाबा बागेश्वर के दरबार को भाजपा प्रायोजित बताने में कितनी सच्चाई है?

भाजपा को क्यों सूट करते हैं बाबा बागेश्वर

बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने दरबार में जिन मुद्दों को उठाते हैं, वे भाजपा की राजनीति को सूट करते हैं। वे जातिगत बंधनों को तोड़कर पूरे हिंदू समुदाय को एक करने की बात करते हैं। वे हिंदू राष्ट्र का मुद्दा भी उठाते हैं, जो भगवा खेमे का प्रिय विषय रहा है। ऐसे में महागठबंधन की ओर से तुरंत यह आरोप लगाया जाने लगा कि पटना में बाबा बागेश्वर धाम का दरबार भाजपा प्रायोजित है।

जिस तरह भाजपा नेता मनोज तिवारी ने बाबा बागेश्वर को पटना एयरपोर्ट पर स्वागत किया और उनके वाहन को चलाकर दरबार तक लाए, उससे ये आरोप और भी मजबूत हो गए। रही सही कसर तब पूरी हो गई जब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद और बिहार के अन्य भाजपा नेता बाबा की आरती उतारते हुए दिखाई पड़े।

नीतीश-तेजस्वी को किस बात का डर

जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल की महागठबंधन सरकार बिहार में जातिगत समीकरणों के सहारे ही भाजपा को चुनौती देने की रणनीति बना रही है। जातिगत जनगणना के मुद्दे को हवा देकर नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हैं। राहुल गांधी ने भी जिस तरह कर्नाटक चुनाव में जातिगत जनगणना को अपना समर्थन दिया है, माना जा रहा है कि 2024 में पीएम मोदी को रोकने के लिए यह विपक्ष का मजबूत हथियार हो सकता है।

लेकिन बागेश्वर बाबा जिन मुद्दों को उठा रहे हैं, उनसे नीतीश-तेजस्वी और विपक्ष की इस राजनीति को नुकसान पहुंच सकता है। यही कारण है कि महागठबंधन के नेता इसका पुरजोर विरोध करते देखे जा रहे हैं। तेज प्रताप यादव तो अपनी सेना के सहारे बाबा को ‘ठीक’ करने और उन पर केस दर्ज कराने की चेतावनी तक दे चुके हैं। बाबा के दरबार में उमड़े आस्था के सैलाब को देखकर महागठबंधन ने उनके विरोध के स्वर कमजोर अवश्य कर लिया है, लेकिन बाबा के बुलावे के बाद भी तेजस्वी यादव उनके दरबार तक नहीं पहुंचे हैं।

बिहार में नहीं चल रहा था हिंदू कार्ड

भाजपा ने अपने हिंदू कार्ड के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों में अपनी पैठ बनाने में सफलता पाई है। उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी और बाबा योगी आदित्यनाथ के सहारे भाजपा ने अपना हिंदू कार्ड बहुत अच्छी तरह से खेला है। इसका असर चुनाव परिणामों पर साफ दिखाई पड़ रहा है। लेकिन यूपी के ही पड़ोसी राज्य बिहार में जातिगत राजनीति के आगे उसका यह दांव यहां कारगर नहीं हो पा रहा था।

यूपी के बाबा की तर्ज पर बिहार के बाबा

बाबा योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में बुलडोजर राजनीति की है, सोशल मीडिया में यह बात की जा रही थी कि बिहार में भी योगी आदित्यनाथ जैसा एक बाबा होना चाहिए। बाबा बागेश्वर सक्रिय राजनीति में नहीं हैं, लेकिन भाजपा को उम्मीद है कि वे महागठबंधन की जातिगत समीकरणों को कमजोर करने में उसकी सहायता कर पाएंगे और बिहार में भी उसका हिंदू कार्ड चल जाएगा। यही कारण है कि पटना के बाद मुजफ्फरपुर में भी बाबा का दरबार लगाने की तैयारी शुरू हो गई है।

नीतीश कुमार को अपनी राजनीति खोने का डर सता रहा

बिहार भाजपा नेता जयराम विप्लव ने अमर उजाला से कहा कि बाबा बागेश्वर पूरे समाज की एकता की बात करते हैं। ऐसे में उनसे परेशानी केवल उन्हीं लोगों को हो रही है, जो समाज को जाति के नाम पर तोड़कर अपनी राजनीति करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बाबा बागेश्वर देश के अलग-अलग हिस्सों में पहले भी दरबार लगाते रहे हैं, ऐसे में उनके पटना दरबार को किसी पार्टी से जोड़कर देखना गलत है।

यह भी पढ़ें: Bageshwar Dham : हिंदू राष्ट्र कैसे बनेगा भारत; पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बिहार का नाम लेकर समझाया

उन्होंने कहा कि चुनाव के समय राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव जैसे नेता मंदिर-मंदिर जाकर स्वयं को बड़ा हिंदू दिखाने की कोशिश करते हैं। यदि वे पटना दरबार आकर बाबा बागेश्वर का आशीर्वाद लें तो यह उनके लिए भी अच्छा होगा।

मौसम की तरह बाबाओं का इस्तेमाल कर रही भाजपा-जदयू

जनता दल यूनाइटेड नेता सत्यप्रकाश मिश्रा ने कहा कि भाजपा ने पहले रामदेव और श्रीश्री रविशंकर का इस्तेमाल किया, अब नए मौसम में बाबा बागेश्वर का इस्तेमाल कर रही है। कर्नाटक चुनाव ने बता दिया है कि भाजपा के पास विकास के नाम पर देने के लिए कुछ नहीं है, यही कारण है कि वह बाबा के नाम पर अपनी जमीन बचाए रखने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि एक संवैधानिक पद पर बैठे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव वही बात कर रहे हैं जिसे उन्हें करना चाहिए।

महागठबंधन को कोई नुकसान नहीं- आरजेडी

राष्ट्रीय जनता दल के नेता डॉ. नवल किशोर ने कहा कि बाबा बागेश्वर धाम के दरबार में आने वाली जनता ‘चमत्कार और उपचार’ की उम्मीद में आ रही है। लोग अपने घर जाने के बाद भाजपा के एजेंडे की चर्चा नहीं करेंगे, बल्कि वे भक्ति भावना की बात ही करेंगे। ऐसे में उन्हें नहीं लगता है कि बाबा बागेश्वर के आने से बिहार की राजनीति में कोई बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि बाबा अपनी सभाओं में हनुमान कथा करते हैं, तो इससे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यदि वे उन मुद्दों को उठाते हैं जो कोई दूसरा राजनीतिक दल उठाता रहा है तो ऐसे में उनके ऊपर संदेह पैदा होता है।



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